Electro Homeopathic Treatment of Uterine fibroids
Electro Homeopathic Treatment of Uterine fibroids: बच्चेदानी या गर्भाशय में रसोली (Uterine fibroids) एक प्रकार के मांसल ट्यूमर होता हैं । जिसे लेयोमोमास या मायोमा भी कहा जाता है, गर्भाशय फाइब्रॉएड गर्भाशय के कैंसर के जोखिम से जुड़ा नहीं है और लगभग कभी भी कैंसर में विकसित नहीं होता है।फाइब्रॉएड एक या कई ट्यूमर के रूप में विकसित हो सकते हैं। यह सेब के समान और अंगूर के समान गुच्छे में भी हो सकते हैं।
फाइब्रॉएड आकार में बीज के आकर से लेकर, भारी और काफी वजनी तक होता है जो गर्भाशय को विकृत और बड़ा कर सकता है। Uterine fibroid संख्या में एक या एक से अधिक हो सकते हैं। कई बढे हुए मामलों में फाइब्रॉएड गर्भाशय का इतना विस्तार कर सकते हैं कि यह rib cage तक पहुंच जाए और वजन बढ़ा सके।ये ट्यूमर बड़े होकर पेट दर्द और पीरियड्स में ज्यादा ब्लीडिंग होने का कारण बनते हैं। कुछ लोगों में इसके कोई संकेत या लक्षण प्रदर्शित नहीं होते हैं।
गर्भाशय की रसौली 15 वर्ष की आयु से लेकर 80 वर्ष की सभी महिलाओं को प्रभावित करता है।ये समान्यतः 16 से 50 वर्ष की उम्र में (प्रजनन के समय) विकसित होते हैं । जब एस्ट्रोजन का स्तर अधिक होता है।यदि एक बार फाइब्रॉएड विकसित हो जाता है तो, यह रजोनिवृत्ति के बाद तक बढ़ता रहता है। जैसे जैसे एस्ट्रोजेन का स्तर कम होता है, फाइबॉइड सिकुड़ता जाता है।अधिक वजन या मोटापे में गर्भाशय फाइब्रॉएड से पीड़ित होने की सम्भावना बढ़ जाती है।
Uterine fibroids के लक्षण : Symptoms of Uterine fibroids
फाइब्रॉएड होने वाली कई महिलाओं में कोई लक्षण नहीं होते हैं। उन लोगों में जो लक्षण फाइब्रॉएड के स्थान, आकार और संख्या से प्रभावित हो सकते हैं।जिन महिलाओं में लक्षण होते हैं, उनमें सबसे आम लक्षण निचे दिए हो सकते हे :
- भारी मासिक धर्म रक्तस्राव
- मासिक धर्म एक सप्ताह से अधिक समय तक चलता है
- पैल्विक दबाव या दर्द
- लगातार पेशाब आना
- मूत्राशय को खाली करने में कठिनाई
- कब्ज़
- पीठ में दर्द या पैर में दर्द
Electro Homeopathic Treatment of Uterine fibroids
- S2+C1+A3++L1+Ven1+BE – D8 10 Drops TDS Before Meal
- C2+Ven1+GE+ – D6 10 Drops TDS After Meal
- A2+S5+C5+GE – D4 Compress on Uterus Region