Electro Homeopathic Treatment of Spermatorrhoea
Electro Homeopathic Treatment of Spermatorrhoea : Spermatorrhoea or Night Fall एक प्रकार का पुरुष यौन विकार है। इसमें बिना मैथुन के वीर्य का उत्सर्जन होता है। दूसरे शब्दों में, यह एक अनैच्छिक सेमिनल डिस्चार्ज है। इसका यह अर्थ हुआ के बिना योन क्रिया के कई बार वीर्य का स्खलन होना और इसमें व्यक्ति रुग्ण अवस्था में चला जाता हे । नवयुवकों में यह आम हे और उनमे इसको लेकर चिंता भी होती है।

यदि वीर्य स्राव बार-बार होता है और असामान्य रूप से बढ़ता है, तो इसे गंभीर लेना चाहिए और इसे एक बीमारी मान कर इसका इलाज़ किया जाना चाहिए । इसके शरीर पर कई साइड इफेक्ट्स होते हैं जो स्पर्मेट्रोरोहिया से जुड़े होते हैं। सबसे महत्वपूर्ण हैं सिरदर्द, पीठ में दर्द, सुस्ती, अत्यधिक पसीना, कमज़ोर दृष्टि, थकावट, गिडापन, अंग कांपना, तेजी से और अनियमित दिल की धड़कन, नींद न आना, बेचैनी, कम यौन इच्छा , आदि।
Cause of Spermatorrhoea
वीर्यपात उन पुरुषों में होता है जो संभोग में न के बराबर लिप्त होते हैं। यदि मैथुन के माध्यम से वीर्य नहीं निकाला जाता है, तो इसका ऐसे बहुत स्वाभाविक है और साथ ही स्वस्थ भी है कि कुछ अंतराल के बाद द्रव बिना किसी उकसावे के बहार आ जाता है। लेकिन, सवाल यह हे की यह कितनी बार होता हे और कब इस समस्या को गंभीरता से लिया जाता है। इस वीर्य उत्सर्जन या शुक्राणुशोथ को कब सामान्य माना जाता है? इसे कब हानिकारक माना जाता है?
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सार्वभौमिक रूप से ऐसा कोई नियम नहीं हे के यह कितनी बार सामान्य हे यह व्यक्ति के स्वास्थ्य और उसके खान पान पर निर्भर होता हे लेकिन स्वस्थ व्यक्ति में जिसका संतुलित आहार हे सप्ताह में एक बार इसे सामन्य माना जा सकता हे।
- शुक्राणुशोथ के मुख्य कारण हैं
- तंत्रिका तंत्र का विफल होना
- जननांग और मूत्र ग्रंथि का फेल होना
- बार-बार हस्तमैथुन करना
- यूरिनल डक्ट निकलने की संकीर्णता
- यौन विचारों की अधिकता
- यौन असंतोष
- सबसे आगे की त्वचा की कठोरता के कारण वृषण की झुंझलाहट
- रेक्टम विकार जैसे फिशर, पाइल्स आदि।
- संपर्क के बाद उत्तेजना
Electro Homeopathic Treatment of Spermatorrhoea
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